समकालीन भारतीय कलाकारों में चित्रा मुद्गल का विशिष्ट स्थान है। आज जबकि अधिकतर कथाकार उपन्यास लेखन से जुड़े हैं, चित्राजी का कथाकार कहानियों के प्रति विशेष रूप से समर्पित है। उनकी कहानियाँ ऊपरी तौर से भले ही किसी वाद या राजनीतिक प्रतिबद्धता का शोर नहीं करतीं, पर दरअसल वे मानवीय सरोकारों से गहरई से जुड़ी हैं।
महिमा कथाकारों पर जिस तरह के सीमा संकेत किए जाते हैं, चित्राजी उन सभी सीमाओं का अतिक्रमण सहज रूप में इसलिए कर सकी हैं कि वे जिस कुशलता से घर, परिवार और संबंन्धों को कथात्मक सौंदर्य में बाँधती हैं उसी कुशलता से घर के बाहर निकलकर एक्जीक्यूटिव क्लास, विज्ञापन की चकाचौंध भरी दुनिया दफ्तरों और फ्रीलांसरों की जिन्दगी तथा साथ-साथ निम्न वर्ग की उस दबी-पिसी जिंदगी के आर्थिक दबावों और तनावों को भी रेखाकिंत करने में सफल हुई हैं, जो अपने आपमें स्थितियों में जीने को मजबूर हैं।
इस संग्रह की अधिकतर कहानियों के पात्र भावुकता की तर्कहीन नदी में न बहकर आर्थिक दबावों के यथार्थ को स्वीकार करते हुए ही अधिक प्रभावपूर्ण बनते हैं। आर्थिक दबावों का सीधा प्रभाव आज जिस तेजी से हमारे समाज पर पड़ रहा है उसे वैविध्यपूर्ण कथ्य और शिल्प के साथ-साथ भाषा के स्तर पर प्रस्तुत करने में चित्रा मुदगल की सजगता उल्लेखनीय है। दरअसल, यह संग्रह चित्राजी के कथा-लेखन में आए उस रचनात्मक बदलाव का दस्तावेज है, जो बहुत कम कथाकारों को मिलता है।
महिमा कथाकारों पर जिस तरह के सीमा संकेत किए जाते हैं, चित्राजी उन सभी सीमाओं का अतिक्रमण सहज रूप में इसलिए कर सकी हैं कि वे जिस कुशलता से घर, परिवार और संबंन्धों को कथात्मक सौंदर्य में बाँधती हैं उसी कुशलता से घर के बाहर निकलकर एक्जीक्यूटिव क्लास, विज्ञापन की चकाचौंध भरी दुनिया दफ्तरों और फ्रीलांसरों की जिन्दगी तथा साथ-साथ निम्न वर्ग की उस दबी-पिसी जिंदगी के आर्थिक दबावों और तनावों को भी रेखाकिंत करने में सफल हुई हैं, जो अपने आपमें स्थितियों में जीने को मजबूर हैं।
इस संग्रह की अधिकतर कहानियों के पात्र भावुकता की तर्कहीन नदी में न बहकर आर्थिक दबावों के यथार्थ को स्वीकार करते हुए ही अधिक प्रभावपूर्ण बनते हैं। आर्थिक दबावों का सीधा प्रभाव आज जिस तेजी से हमारे समाज पर पड़ रहा है उसे वैविध्यपूर्ण कथ्य और शिल्प के साथ-साथ भाषा के स्तर पर प्रस्तुत करने में चित्रा मुदगल की सजगता उल्लेखनीय है। दरअसल, यह संग्रह चित्राजी के कथा-लेखन में आए उस रचनात्मक बदलाव का दस्तावेज है, जो बहुत कम कथाकारों को मिलता है।
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